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    प्राचार्य

    Principal Sir

    श्री धर्मेन्द्र सिंह

    बच्चे उर्वरभूमि पर लहलहाती फसलों के सदृश हैं, जिन पर किसी भी राष्ट् की आधारशिला निर्धारित होती है। राष्ट्र् के भविष्य की बुनियाद बच्चे होते हैं। ये उस राष्ट्र्‌रुपी वृक्ष की जड़े हैं जो नई पीढ़ी को कार्य, आराधना तथा विद्वता के फल प्रदान करता है। इन बच्चों को भविष्य की लम्बी राह तय करनी है तथा राष्ट्र् को सफलता के मार्ग पर ले जाना है।
    किसी राष्ट्र् के भविष्य को आकार देने का प्राथमिक उतरदायित्व तीन लोगों पर है- माता, पिता एवं शिक्षक। इनमें से शिक्षक सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं चूंकि ये इस कार्य में विशेष तौर पर प्रशिक्षित तथा चयनित होते हैं और अपनी क्षमतानुरुप इस कर्त्तव्य को निभाते हैं। एक शिक्षक विद्यार्थियों, अभिभावकों तथा समाज का विश्वासपात्र होता है और इस विश्वास को पूरी सत्यनिष्ठा के साथ निबाहना उसका धर्म होता है, वह प्रत्येक परिस्थिति में अपने विद्यार्थियों पर आशीर्वाद की वर्षा करता है। शिक्षक अपने विद्यार्थियों को एक मूर्ति की तरह गढ़ते हैं। उनकेदिशा निर्देश विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की रुपरेखा तय करते हैं तथा उनके लिए नई सम्भावनाऍं पैदा करते हैं।